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बिहार में भारत छोड़ो आंदोलन के पहले दो महीने - बिहारियों का ग़दर

  20 अगस्त 1942 का दिन; गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन बिहार में अपने चरम पर था। बिहार के अंग्रेज़ राज्यपाल सर T Stewart ने केंद्रीय प्रशासन को भेजी अपनी report में लिखा , ‘ विद्रोह की तीव्रता का अंदाजा वही लगा सकते हैं जिन्होंने इसे खुद देखा हो’ . पूरे प्रदेश में अराजकता व्याप्त थी . अंग्रेजी शासन का शायद ही कोई ऐसा प्रतीक या चिन्ह हो जिस पर लोग न टूट पड़े . प्रशासन के लिए सबसे ज्यादा चिंता और विस्मय की बात थी इस बलवाई भीड़ का कोई जाना पहचाना नेतृत्व या चेहरा न होना . राजनैतिक कार्यकर्ताओं को तो सरकार पहले ही नज़रबंद कर चुकी थी . ये बिहार की आम जनता थी , जो स्वतःस्फूर्त ऊर्जा के साथ अंग्रेजी सरकार पर हमले कर रही थी . लेकिन इसके बावजूद ये विद्रोही किसी दंगाई या बलवाई भीड़ की तरह नहीं बल्कि एक अनुशासित शत्रु सेना की तरह ब्रिटिश प्रशासन पर प्रहार कर रहे थे . अंग्रेजी राज को ठप्प करने के लिए सबसे पहले रेल , सड़क और संचार के माध्यमों पर हमले हुए . बिहार में स्थिति इतनी गंभीर बनी की कई दिनों के लिए पटना के प्रशासन तंत्र का राज्य के बाकी जिलों से संपर्क टूट गया . ग्रामीण बिहारी सैकड़ों

क्या काँग्रेस की स्थापना किसी अंग्रेज ने की थी? काँग्रेस पार्टी की स्थापना की कहानी।

  धर्मकीर्ति - नमस्कार मित्रों . स्वागत हैं आपका भारत की कहानी में . Congress की स्थापना दिसंबर 1885 में मुंबई (तब के Bombay) में एक राष्ट्रीय अधिवेशन में हुई . इसके पहले president हुए w c बैनर्जी . लेकिन इस राष्ट्रीय अधिवेशन के पीछे असली मेहनत थी एक retired British civil servant AO Hume की . आज की left v right debate का विषय है Congress की स्थापना का प्रकरण . मैं धर्मकीर्ति इस विषय पर वामपंथी पक्ष रखूँगा और मेरे साथी कुमारिल भट्ट right wing पक्ष से विवेचना करेंगे .  कुमारिल – धन्यवाद धर्मकीर्ति . कांग्रेस की स्थापना में एक retired British Civil Servant की भूमिका सवाल तो खड़े करती है . AO Hume सिर्फ पृष्ठभूमि में क़ाम नहीं कर रहा था , बल्कि इस राष्ट्रीय अधिवेशन का मुख्य संयोजक था . उन दिनों , जब यातायात इतना कठिन था , Hume ने खुद Bombay, Calcutta और Madras की यात्रा की और Congress की स्थापना में भाग लेने के लिए भारतीय प्रतिनिधियों को तैयार किया . इनमें से अधिकांश अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त किए बाबू लोग थे – वकील , doctors, पत्रकार और बुद्धिजीवी . ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की AO Hume

भारतीय सिविल सेवा का एक संक्षिप्त इतिहास

  कुमारिल - नमस्कार मित्रों , स्वागत है आपका भारत की कहानी में . क्या आप जानते हैं की भारतीय civil services की शुरुआत कब और कैसे हुई? आज की चर्चा में , मैं कुमारिल और मेरे मित्र , भंते धर्मकीर्ति भारतीय civil services के इतिहास से आपका संक्षिप्त परिचय करवाएंगे . आप शुरू करिए धर्मकीर्ति . धर्मकीर्ति - धन्यवाद कुमारिल . भ ारत में व्यापार करने आई East India Company , उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक पूरे भारत की मालिक बन गई। ये साम्राज्य जीता तो Company की फौज ने था, लेकिन इस पर राज company के नौकरशाह/ civil servants करते थे। कुमारिल - कहने के लिए तो उनका काम Britain में बनाई नीतियों को लागू करना था, लेकिन वस्तुतः वे साम्राज्य के सर्वेसर्वा थे। उन दिनों एक पानी के जहाज को भारत से ब्रिटेन पहुँचने में 3-4 महीने लगते । जब तक telegram ईजाद नहीं हो गया, Britain में बैठे company Directors का भारत के प्रशासन पर बहुत कम वास्तविक नियंत्रण था। धर्म कीर्ति - भारत का राज-काज, काम-धंधे, युद्ध और व्यापार सम्बन्धी सारी जानकारी के लिए कंपनी के Directors उन्हीं नौकरशाहों पर निर्भर